चाहता हु कुछ करना पर कर नहीं पता…….
चाहता हु कुछ करना पर कर नहीं पता
दूर तुम होती हो रास्ता नजर नहीं आता
मंजिल भी अब रास नहीं अति ना ही कुछ कर पाता हु
जिन नजरो में डूबा था वही तलक सिमट कर रहा जाता हु।
(अवनीश कुमार)
चाहता हु कुछ करना पर कर नहीं पता
दूर तुम होती हो रास्ता नजर नहीं आता
मंजिल भी अब रास नहीं अति ना ही कुछ कर पाता हु
जिन नजरो में डूबा था वही तलक सिमट कर रहा जाता हु।
(अवनीश कुमार)