” ———————————— चाल चल गये ” !!
बोले क्या बवाल कर गये !
जीना बस मुहाल कर गये !!
भीड़तंत्र का रुख यों मोड़ा !
सबका बुरा हाल कर गये !!
पुलिस प्रशासन बेचारे से !
और सयाने चाल चल गये !!
गाथा कहते नज़र वोट पर !
नेताजी कमाल कर गये !!
बेच बेच कर कल के सपने !
खुद को मालामाल कर गये !!
दोष धरा दूजों के सिर पर !
अपनों को निहाल कर गये !!
खुद के पास जवाब नहीं है !
औरों से सवाल कर गये !!
प्रजातन्त्र की यही खूबियां !
जनता को बदहाल कर गये !!
बृज व्यास