चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला
चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला
बस एक दिन और शेष रहा कल से खुलेगी मधुशाला
सरकार के निर्देशों का पालन करेगा हर कोई पीने वाला तब जाकर हर गली खुली मिलेगी उनको मधुशाला
न डर होगा मुत्यु का,न कोई कोरोना से मरने वाला
तब यम भी लेने आएंगे खुशी खुशी नीचे मधु का प्याला
न कोई होगा पढ़ने वाला,न कोई पढ़ाने वाला न ही खुलेगी पाठशाला
भूखी जनता को मरने दो,जश्न होगा,खुलने का मधुशाला
बन्द पड़े है,मंदिर,मस्ज़िद,खुली रहेगी मधुशाला
मौन खड़ी पतथर की मूर्ति,जश्न मना रहा पीने वाला
चालीस दिन प्यासा रख,आज मिला वो मधु का प्याला
दुःखी रहा जो इतने दिन, खुशी खुशी जा रहा मधुशाला
डर रहे है लोग एक दूजे से हाथ गले मिलाने को
बिना झिझके महफ़िल में पी रहे वो मधु का प्याला
भटक रहा भूखा दर दर नही मिला एक भी निवाला
पीने वालों की महफ़िल में पा गया मधु का प्याला
इंतेज़ार कर रहा था बेसब्री से पीने वाला
इंतेज़ार खत्म हुआ लो खुल गयी मधुशाला
भूपेंद्र रावत
7।06।2020