” चालाकी “
ये ज़ाहिर मत होने दो
की तुम परेशांं हो
तुम्हारी इसी ना – ज़ाहिरी से
वो खुद-ब-खुद मर जायेंगे ,
गर इसी तरह करते रहे तो
देखना एक दिन
तुम्हारे आस्तीन में वो जो बैठे हैं
परेशां हो बाहर निकल आयेंगें ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 12/07/2020 )