*चार शेर*
चार शेर
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लिखे कुछ शेर मैने हैं, लिखे कुछ शेर तुमने हैं
इजाजत हो जो मिलने की, गजल फिर एक हो जाए
किसे मालूम है हम कल, मिलेंगे फिर या बिछुड़ेंगे
मौहब्बत में कसर कुछ भी, न मैं छोड़ूॅं न तुम छोड़ो
मुझे देखो बहुत खुश हूँ, हमेशा मुस्कुराता हूँ
किसी से कोई उम्मीदें, कभी भी मैं नहीं रखता
जो तुमने दे दिया मालिक, तुम्हारी है मेहरबानी
न देते-छीन लेते भी, तो करता शुक्रिया ही मैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451