*चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा ? (गीत)*
चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा ? (गीत)
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चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा
1)
भाग्य में हे प्रभु बताओ, आयु कितनी है लिखी
ऑंख में कुछ कष्ट-सा है, दृष्टि कुछ धुॅंधली दिखी
खिलखिलाता तेज सूरज, आज नभ में खल रहा
2)
वर्णमाला के अभी कुछ, शेष अक्षर रह गए
कान में आकर अभी कुछ, कौन जाने कह गए
नेह आपूरित वसंती, भाव अब भी पल रहा
3)
सृष्टि की रचना अनिश्चित, कौतुहल से है भरी
कुछ कुटिल-सी भंगिमाऍं, और कुछ पावन खरी
परिपूर्ण भरने का चरण, शुभ कलश का टल रहा
चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451