चार कदम…
लड़ना छोड़ेंगे नहीं
जब तक न मिले लक्ष्य
कौन कहता है रास्ता दूर है ?
चल बस एक बस चार कदम
राह – राह में ढूँढेंगे वो संग
जहाँ कठिन प्रस्तर हो
या घनघोर वन….
राह में कांटे ही कांटे मिलेंगे
फिर भी चलना मुझे
एक बस चार कदम…
उम्मीद भी टूटेगी, सहारा भी
फिर भी खुशी ही खुशी हम
भरेंगे नव्य भरे उमंग हरदम
रख हौसला, कर भरोसा
चलना तुम्हें बस अकेला
ग़र साथ दे कोई पंथी
इन भटकते – भटकते राहों में
साथ ले चल बस चार कदम
बस चल बन्धु चार कदम,
बस चार कदम……..