जिन्दगी
चारों तरफ दहशत और दरिन्दगी है।
भूख, बीमारी, गरीबी, गंदगी है।
हो गया मानव अंधा उन्माद भरा,
कौड़ियों के मोल बिकती जिन्दगी है।
-लक्ष्मी सिंह
चारों तरफ दहशत और दरिन्दगी है।
भूख, बीमारी, गरीबी, गंदगी है।
हो गया मानव अंधा उन्माद भरा,
कौड़ियों के मोल बिकती जिन्दगी है।
-लक्ष्मी सिंह