चाय
चाय भी साहब क्या ख़ूब एक बहाना है।
एक कप के बहाने दिलों को मिलाना है।
लाख मना करे बेचारे डॉक्टर साहब भी।
फिर भी चाय के बिना कहाँ रह पाना है।
सर्दी, गर्मी, बरसात या कोई और हो मौसम।
गर्म गर्म चाय से अपने लबों को नहलाना है।
कोल्ड ड्रिंक का चलन भी तो है बहुत ख़ूब।
पर चाय के बग़ैर मानो हर रिश्ता बेगाना है।
जितना भी मुश्किल से मुश्किल हो मसला।
बस एक कप चाय से ही उसे सुलझाना है।
महँगाई के इस दौर में मेज़बानी है मुश्किल।
सस्ते में बस चाय से ही इख़लाक़ दिखाना है।
बच गयी कई दोस्ती और रिश्तेदारी चाय से।
वरना रिश्तों का तो जनाज़ा निकल जाना है।