चाय
जिंदगी की उलझनें सुलझाते -सुलझाते
जब थक जाता है ये वजूद
अब और नही यही आता है ख़्याल
तब एक कप कड़क चाय
बदल देती है जीने का अंदाज।
घूँट घूँट चाय जब हलक से उतरती
कराती है अमृत का एहसास,
तृप्ति मन को मिल जाती
और लगे कोई उलझन नही है पास
ये चाय बदल देती है ख़्वाब।
संघर्षों में तपकर निखरती जिंदगी,
जैसे उबल कर रंगत लाती चाय
इलायची सा खुशबू बढ़ जाए,
जब मिल जाए विश्वास का आधार।
यह चाय कराती है एक एहसास।
दूध जब मिल जाती है चाय में,
स्वाद हो जाती है इसकी लाजबाब।
अपनेपन के रंग में रंगी हुई जिंदगी
हो जाती है बेहद खास।
यह चाय बदल देती है जज्बात।