चाय
चाय और चाय के उबाल पे
बहुत चर्चा हो चूकि … अब
इश्क़ के बवाल पे चर्चा बांकी है
उसके इंकार मेरे इकरार पे चर्चा बांकी है
दहकते ईंटों से बने दिल
दिल कि लाल ठूंठ के सवाल पे चर्चा बांकी है…
…सिद्धार्थ
कांच का ग्लास
काली सी चाय
एक लाल ईंटों का उदास सा दिल
दिल में की हथेली पे एक चबूतरा
आओ न, हम तुम दोनों
चबूतरे पर बैठ मन की बात करें
सफेद नही काली चाय पे चर्चा करें
मैं देश की बात करूंगी
तुम बिदेश पे चर्चा करना
मैं बेरोजगारी की गारी पे बात करूंगी
तुम सैनिक पे चर्चा करना
मैं मजदूरों के खस्ता हालत पे जी घरूँगी
तुम भजन पे तान को धरना
मैं गिरते रूपये को पकड़ूँगी
तुम योगा में ध्यान धरना
मैं काला धन की खोज करूंगी
तुम गाय को माता साबित करना
मैं भूख, बेकारी और भाषा के दलिदरी को
अपने चबूतरे पे रखूंगी,
उस से दो चार किस्से करुँगी
तुम पैर धोके उसको नीहाल करना
मुझको हर बात पे तुम बेहाल करना
आओ हम देश की हाल पे
एक ग्लास काली चाय के साथ
चाय और देश की माय पे चर्चा करें
…सिद्धार्थ