चाय पे चर्चा
दावत दी तुम्हें कि, चाय पर आज गुफ़्तगू होगी,
जिन्दगी के स्वाद से, ये जिन्दगी रूबरू होगी।
चाय की खुशबूदार चुस्कियों का, नशा औ असर,
ये क्या तिलिस्म चाय का ही बस, रहा हावी तुम पर।
स्वाद-ए-ज़िंदगी का, एक कतरा भी नहीं पाया,
वो वक़्त चाय का, चाय के, प्याले में हुआ जाया।
अब पहले की तरह फिर से, वही इंतजार जारी है,
देखते हैं कौन से दिन फिर, चाय पे चर्चा की बारी है।
@दीपक कुमार श्रीवास्तव ” नील पदम् ”
02.04.2023