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5 Oct 2021 · 1 min read

चाचा जी चाची संग हंँसते !

चाचा जी बड़े दीवाने हैं,
चाची के हुस्न निराले हैं,
कितनी नखरे वाली हैं,
मांँ की कहलाती देवरानी है ।

हंँसी ठिठोली करते सब,
चाची होती हैं घर में जब,
डांँट लगाती कभी मनाती,
गुस्से में वह भी रूठ जाती ।

चाची होती बड़ी प्यारी हैं ,
हाथ बटाए सहयोग कराए,
बहू का दर्जा निभाती है ,
सासु की होती दुलारी है ।

चाची होती घर की रौनक,
मांँ का रूप होता है जिसमें,
ख्याल रखती घर में जब सबका ,
चाचा जी चाची संग हंँसते ।

✍रचनाकार-
**बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर।

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