चाकू
10कहानी चाकू – जो एक क्राइम कहानी हैं। रील= 10 स्क्रिप्ट रौशन राय का
लेकर पुलिस सिपाही ने फिर से आरोही राय के आदेश अनुसार जैसे कोर्ट लाया गया था उसी तरह तीन तीन जीप आगे पिछे सारे हथियार से लैस ज्योति को फिर उसी तरह लोहे के कड़ी में बांध वैन में आरोही राय के साथ छे और बड़े आॅफिसर बैठा और वैन चल दिया जेल के तरफ जिस जेल का नाम जज साहब बताएं थे और सारे लोग ज्योति को जाते आंसू भरे नजरो से देख रहे थे गाड़ी आगे निकल गया सब वही पर खड़े रह गए। दो दिन के बाद उनसे पुछ ताछ के लिए क्राइम ब्रांच के दो और पुलिस विभाग से दो आॅफिसर आये और उनसे पुछना शुरू किया। तो ज्योति फिर चुप रही आॅफिसर के लाख प्रयासों और समझाने के बाद भी जब कुछ नहीं बोली तो चार खुंखार लेडीज पुलिस को बुलाया गया और सारा बात समझाने के बाद ज्योति को उनके हवाले कर दिया जिसके मार से शायद गड़े हुए मुर्दे भी बाहर आकर सच सच सब कुछ बता दिया करता है। ज्योति पर तो अभी इन चारों लेडीज पुलिस का कहर बरसने बाला था एक ने कहा की बोल तु किसके साथ मिलकर काम करती हैं। ज्योति चुपचाप रही की एक ने ऐसा घुसा मारा की ज्योति गेंद की तरह उछल कर दिवार से टकराते हुए जमीन पर धड़ाम से गिरी तो तिसरी ने उठाई और घुमकर ऐसा लात मारी की ज्योति के मुंह से खून निकलने लगा फिर चौथी ने भी उछ्ल कर के बेजोड़ एक्सन के साथ पेट में लात मारी फिर ज्योति फुटबॉल की तरह उछल कर दिवार से टकराते हुए जमीन पर धड़ाम से नीचे गिरी अब चारों ने एक साथ ज्योति पर आक्रमण करने लगी चारों ने मार मारकर ज्योति का बुरा हाल कर दिया पर उनके मुंह से रोने का एक स्वर तक नहीं निकलता जब चारों ने देखा की अब ये ऐसे मानने वाली नहीं है तो उन चारों ने खुंखार भेड़िए की तरह ज्योति को झपटी और उन चारों ने ज्योति के शरीर का सारा कपड़ा चार भाग में बांट लिया और उपर से नीचे तक नंगी कर दिया ज्योति के शरीर पर सिर्फ पेंटी और ब्रा रह गया न जाने क्या क्या हरकतें वो चारों ज्योति पर की लेकिन ज्योति अपना मुंह नहीं खोली ऐसा कौन-सा राज हैं जो ज्योति छुपा रही थीं। लोग कहते हैं की औरत का दिल कमजोर होता हैं पर ज्योति को देखकर तों ऐसा लग रहा था की औरत का दिल किसी चट्टान से कम मजबूत नहीं होता हैं जब वो चारों मारते मारते थक गई तो वो चारों किसी कुत्ते की तरह हांफ रही थी और ज्योति के लगभग हर अंग से खुन बह रहा था ज्योति बेहोश हो गई थी और वो चारों उनको होश में लाने की जोड़दार कोशिश कर रही थी। उधर जे के ने उस पिज़्ज़ा के होम डिलेवरी लड़के कुर्शेद को पुरे तरह अपने वश में कर लिया वो लड़का अब पैसे के लिए और जे के के कहने पर शायद अपने बाप को भी मार दे तो सागर और सावित्री देवी क्या चीज़ था। सागर और सावित्री देवी वो एलर्ट यंत्र को अपने हाथ में घड़ी की तरह बांध लिया और दिन में भी सारे खिड़की बंद रखता, रात को तों सारे लाइट जला कर कमरे को ठीक से लाॅक कर दोनों एक ही रुम में अगल अलग बेड पर सोने लगा पर दोनों बिल्कुल डरा नहीं था ये सागर और सावित्री देवी की अपनी सावधानी था। सागर और सावित्री देवी को सब मियां बीवी समझता था पर वो दोनों मियां बीवी नहीं थे इस दौरान कभी खाना बनता और कभी नहीं तो सागर ने कहा सावित्री आज तुम अपने लिए खाना मंगा लो और हमारे लिए पिज़्ज़ा मंगवा लेना इस पर सावित्री कहती है ठीक है। जे के कहा कुर्शेद आज तुम्हें उन दोनों में से एक को जरूर टपका देना हैं। कुर्शेद ने कहा सर ये तो ठीक है पर वो पिज़्ज़ा का आॅडर से मंगवाएगा तब न तो जे के ने कहा वो अवश्य ही मंगवाएगा जब जे के और कुर्शेद बात कर रहा था तभी कुर्शेद के मोबाइल पर फोन आया की जल्दी दुकान पर आओ एक पिज्जा पहुंचाना है तो कुर्शेद ने कहा, कहा पर पहुंचाना है तो उधर से जो आवाज आया उसे सुनकर कूर्शेद
ठीक है कहके फोन काट दिया और जे के को बोला सर आप अनुमान तो ठीक निकला सागर ने आज ही पिज्जा मंगवाया है बोलीए अब मुझे क्या करना होगा तों जै के ने अपने शैतानी दिमाग में जो प्लान सेठ किया था वो खुब बढ़िया से कुर्शेद को बता दिया और उस दिन में नहीं रात में मारना है दोनों में से तुम्हारे सामने पर जाएं मार देना। कुर्शेद हां कह कर वहां से निकला और अपने दुकान से पिज्जा लेकर सागर के घर पहुंच गया। जैसे कुर्शेद बिल्डिंग के करीब पहुंचा की उस एलर्ट यंत्र का रेड बत्ती जल गया सागर और सावित्री चौक गया और पुरे सावधान हो गया कुर्शेद आया और डोर बेल बजाया की वो एलर्ट यंत्र दोनों को बिजली की तरह अर्थ मारने लगा। सागर और सावित्री देवी बड़ी पहले आवाज देकर पुछा कौन है तो बाहर से आवाज आया की मैडम जी मैं पिज्जा लेकर आया हूं। तो सावित्री ने दरवाजे का आर लेते हुए दरवाजा खोला और पिज्जा देकर कुर्शेद वापस चला गया। तो सागर और सावित्री आपस में बातें करने लगा की ये क्या ये तो किसी के आने पर हमें एलर्ट और अर्थ देने लगता हैं इस विषय में सागर ने अपने सिनियर से और सिनियर आॅफिसर ने एलर्ट यंत्र के कम्पनी से बात किया तो कम्पनी ने कहा की वो सौ टका यंत्र ने सही काम किया पर आपने उसे नज़र अंदाज़ किया, वो पिज्जा वाला निश्चित ही आप लोगों के लिए खतरा है और आपने ये मौका गंवा दिया उसे पकड़ने में, हमारा यंत्र कभी गलत नहीं हो सकता हमरा यंत्र मन की बात को जानकर ही यंत्र रखने वाले को सतर्क करता है, जो बात कम्पनी ने सागर के आॅफिसर को बताया वहीं बात आॅफिसर ने सागर और सावित्री देवी को बताया तभी एक आदमी ने डोर बेल बजाया तो एलर्ट यंत्र ने कोई संकेत नहीं दिया क्योंकि उसके मन में सागर और सावित्री के प्रति कोई नफरत ही नहीं था और दरवाजा खोला तो सामने देखा की मालती खड़ी हैं मालती को अंदर बुलाया और बैठकर तिनों आपस में बात चीत किया और मालती अपने घर चली गई, मालती के जातें ही सागर और सावित्री ने बात किया की जब मालती आई तो एलर्ट यंत्र कुछ भी संकेत नहीं दिया अब दोनों को यंत्र पर पुरा विश्वास हो गया की वो पिज्जा वाला के मन हमारे प्रति कोई बुरा बिचार हैं, कुछ न कुछ जरूर इस पिज्जा वाले के अंदर राज की बात है इसे पकड़ना बहुत जरूरी है। सागर और सावित्री दोनों आपस में बात कर उसने तुरंत पिज्जा औडर कर दिया और कुर्शेद को पकड़ने के लिए तैयार हो गया जैसे ही पिज्जा का दुसरा आॅडर गया की की कुर्शेद ने जे के को फोन किया की सर सागर के यहां से फिर पिज्जा का आॅडर आया है तो जाऊं की नही तो जे के ने कहा की तुम मत जाओ और किसी को भेज दो तो कुर्शेद ने वैसे ही किया और दुसरा लड़का पिज्जा लेकर पहुंचा तो एलर्ट यंत्र ने कोई संकेत नहीं दिया।
अब तो सावित्री और सागर को पुरा यकिन हो गया। अब तो दोनों को कुर्शेद के आने का इंतजार रहने लगा और सावित्री और सागर रोज पिज्जा मंगवाने लगा पर कुर्शेद पिज्जा लेकर नहीं आ रहा था और ना ही वो एलर्ट यंत्र कोई संकेत दे रहा था तीन दिन गुजर गया और कुर्शेद नहीं आया। उधर शेखर घर से बाहर निकलना बंद कर दिया और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। और शेखर ने मां बाप को समाज मे बार बार अपमानित होना पर रहा था तरह-तरह के ताना मारके इन शरीफ लोगों का जीना दुश्वार कर दिया था। ये सब देखकर प्रताप अंदर ही अंदर मर रहा था की हमारे सिधें साधें दोस्त का जीवन हमारे वजह से पुरा बर्बाद हो गया प्रताप को कोई रास्ता नहीं मिल रहा था की वो अपने दोस्त को इस मुश्किल से कैसे छुटकारा दिलाए न हम शेखर को अपने बहन से शादी के लिए कहते और न ऐसा होता प्रताप ने तय किया कि हमारे वजह से हमारे दोस्त का जिन्दगी खड़ाब हुआ है तो अब मैं ही इसको ठीक भी करुंगा चाहें इसके लिए हमें अपना जान क्यों न गवाना पड़े इसके लिए पहले हमें जेल में जाकर ज्योति से कुछ बातें पुछना पड़ेगा और शेखर से मिलकर उसे समझाने की कोशिश की पर शेखर ने अपने कमरे का दरवाजा ही नहीं खोला और प्रताप को मायुष होकर जेल का रास्ता पकड़ना पड़ा और सिधा ज्योति के मिलने की निवेदन आॅफिसर से करने लगा
आॅफिसर ने कहा की क्या करेगा उनसे मिलकर उसका हालत तुम देख नहीं पाओगे क्यों की उसका हालत बहुत ही खड़ब हैं तो प्रताप ने कहा की हमें हर हाल में ज्योति कुछ बातें करना है जो हमारे लिए और कानून के लिए कोई रास्ता निकले उस अपराधी को पकड़ने में जो सिर्फ चाकू से ही करता है। तो आॉफिसर ने उन्हें ज्योति से मिलने की अनुमति दे दी जब अपने बहन से मिलने प्रताप पहुंचा और देखा की चार खुंखार लेडीज उसके बहन पर ऐसे एटेक कर रही हैं की जैसे इस एटेक के बाद ज्योति मर जायेंगी ये देखकर प्रताप फुट फुट कर रोने लगा और बोला ज्योति ये तुने क्या कर दिया जो तेरा आज इस हालत में मैं तुम्हें देख रहा हूं और कुछ नहीं कर पा हूं। ज्योति को दोनों हाथ पैर को रस्सी से लटका दिया गया था ब्रा और पैंटी में रस्सी से टंगी ज्योति के शरीर के हर अंग से खुन बह रहा था मुंह से खुन और लाड़ दोनों एक साथ निकल रहा था प्रताप ने कभी सोचा तक नहीं होगा की इसके बहन को ऐसा भी दिन देखना पड़ेगा। प्रताप ने उन चारों से निवेदन किया की वो ज्योति को और न मारें नहीं तो मेरी बहन मर जाएंगी तो वो चारों ने कहा की मैं इन्हें नहीं मारती ये खुद मार खा रही है तुम ही इन से पुछो की ये क्या राज छुपा रही है तो प्रताप ने कहा की आप हमें कुछ पल का समय दे दिजिए तो मैं इन से पुछूं की वो क्या राज छुपा रही है। वो चारों भी ज्योति को मार मार कर बहुत थक चुकी थी कहा ठीक है अपने बहन से पुछो की वो क्या छुपा रही है। प्रताप ठीक है कहके अंदर गया और अपने शरीर से अपना शर्ट (कमीज़) खोलकर पहले ज्योति के शरीर पर लपेट दिया और दोनों हाथ पैर का रस्सी खोल कर अपने बाहों में भरके पहले फुट फुट कर रोया और उसने बहुत समझाया की तु ऐसा क्या है जों मरने के लिए तैयार हैं पर वो राज नहीं बता सकती बोल मेरी बहन तु अब पुलिस के अंदर हैं तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता इसलिए तु सारा बात पुलिस को बता दें मेरी बहन उधर शेखर भी अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया है सारे लोग बहुत बड़ी मुसीबत में फस चुका है और तुम्हारे बयान देने से सब ठीक हो जाएगा बहुत समझाने पर ज्योति बोली मैं मर जाऊंगी पर अपने भाई के जान का दुश्मन नहीं बन सकती कौन है मेरा दुश्मन,कौन क्या करेगा मुझे। ज्योति सिर्फ मोबाइल कहके बेहोश हो गई। प्रताप ने उन चारों से कहा की जब तक मैं इसका मोबाइल लेकर नहीं आता तब तक आप सब मेरी बहन को नहीं मार सकते और अपने पुलिस कमिश्नर को फोन करें की वो हमें सिक्युरिटी दें वर्णा मैं भी अब इसी जेल में रहूंगा नहीं तो मेरा जान जाना निश्चित है और हमारे बहन के मोबाइल फोन में ही सारा राज छुपा है। मैं बीना पुलिस सिक्युरिटी के अब अपने घर भी नहीं जाउंगा। उन चारों में से एक ने पुलिस कमिश्नर और क्राइम ब्रांच आॅफिसर आरोही राय को फोन किया और आरोही राय ने तुरंत प्रताप के लिए पांच पुलिस बल भेज दिया। प्रताप पुलिस के सुरक्षा में शेखर के घर गया शेखर से मिलकर कुछ बात करना चाहा पर शेखर उनसे बात क्या अपने कमरे का दरवाजा तक नहीं खोला तों प्रताप ने शेखर के मां से कहा की ज्योति का मोबाइल फोन कहा हैं। तो शेखर के मां बोली बेटा उनके सुहाग वाले कमरे में ही देखो उसी कमरे में होगा हम सब आज दस दिन हो गया उस कमरे में नहीं गये। प्रताप कहा उसके मोबाइल पर किसी का फोन नहीं आया। शेखर की मां बोली नहीं बेटा किसी का फोन नहीं आया। प्रताप शेखर और ज्योति के सुहाग वाले कमरे में पहुंचा तो देखा सारे फुल मुरझाए हुए वैसे दो तकिया लगा था ये सब देख कर प्रताप का आंख भर आया आंसू और प्रताप अपने आंख का आंसू पोंछते ही तकिए के पास से फोन उठाया। और जैसे ही फोन हाथ में लिया की फोन आया की प्रताप रेकार्डींग आॅन कर दिया और बोला हलो तो उधर से आवाज आया की तेरी बहन ने ये बहुत बड़ी गलती कर दी तुझे बता कर अब न तु बचेगा न तेरी बहन। प्रताप को वो आवाज जाना पहचाना लगा वो भागता हुआ शेखर के पास आया और बोला शेखर मेरे यार इस आवाज को पहचान ये अपने कोई करिबी लोग हैं जो हम लोगों को इस मुसीबत में डाल रखा है। थोड़ा हौसला से काम ले मेरे यार इस आवाज को पहचान ये मुझे और ज्योति को जान से मार देने की धमकी दी है तो