चाकरी (मैथिली हाइकु)
चाकरी (मैथिली हाइकु)
१.
सम्मान लोभ
चाकरी करे लोक
अन्ठिहा बने ।
२.
युवा डुबल
चाकरीके बुझैछ
जेना श्रृंगार ।
३.
खूद चाकर
चाकरीमे विभोर
मर्यादा नाघै ।
४.
पेशाके खिल्ली
चाकरीमे उडबै
ठोरपे मुस्कि
५.
बिना चाकरी
कोनो नए प्रगति
युवा बुझैछ ।
दिनेश यादव
(काठमाण्डू, नेपाल)