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16 May 2023 · 1 min read

“चांद है पर्याय”

हमें सुला लो ऐ! उपवन,
अपने बेदाग साएं में।
दाग लगा मुझ पर,
चांद — — — सा ,
बेदाग अपनी राहों में ।
इसलिए जल रहा ये चांद,
देखकर उस चांद को,
चांद हैं पर्याय हमारा,
जीभर के छुड़ा लें,
अपने दाग को।।

राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 85 Views
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