चांद तारे व जुगुनू भी आएं सभी।
गज़ल
212…..212……212…..212
चांद तारे व जुगुनू भी आएं सभी।
देश अपना है रोशन बनाएं सभी।
दुश्मनी औ’र लड़ाई से क्या फायदा,
इक मुहब्बत का पैगाम लाएं सभी।
या खुदा ख़त्म हो, जल्द ही ये वबा,
फिर से हम सब मिलें मुस्कुराएं सभी।
जाति या धर्म कोई, दुखी – दीन हो,
भेद करके न दिल हम दुखाएं सभी,
जिंदगी को बनाना है जन्नत अगर,
पेड़ – पौधे धरा पर लगाएं सभी।
जंग नफ़रत के बादल भी हट जायेंगे,
हम मुहब्बत भी थोड़ी बढ़ाएं सभी।
प्रेम का जाल प्रेमी को सुंदर लगे,
हम तेरे जाल में फँस भी जाएं सभी।
…….✍️ प्रेमी