चांद ठहर जाओ
रात के चांद
आसमान में ठहर जाओ
सुबह मत होने दो
ठंडी पुरवाई चल रही है
यादों की बारिश हो रही है
शबनमी मौसम की सुगबुगाहट हो
रही है
खुद की खुद के दिल से हो रही बातों की
बुदबुदाहट हो रही है
दिल के दरवाजे पर
हल्की हल्की सी आहट हो रही है
ख्वाब के आईने में उतरती
किसी शोख अदा के जिंदा होने की
गुजारिश हो रही है
ख्वाबों में आना
कहीं बीच राह
बिछड़ मत जाना कि
तुम्हारे खैरमकदम करने की
आज की रात
मेरे घर की
दुल्हन के अनुपम सौंदर्य से
सजी सेज पर मिलने की
तैय्यारी हो रही है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001