Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2021 · 1 min read

चांद ठहर जाओ

रात के चांद
आसमान में ठहर जाओ
सुबह मत होने दो
ठंडी पुरवाई चल रही है
यादों की बारिश हो रही है
शबनमी मौसम की सुगबुगाहट हो
रही है
खुद की खुद के दिल से हो रही बातों की
बुदबुदाहट हो रही है
दिल के दरवाजे पर
हल्की हल्की सी आहट हो रही है
ख्वाब के आईने में उतरती
किसी शोख अदा के जिंदा होने की
गुजारिश हो रही है
ख्वाबों में आना
कहीं बीच राह
बिछड़ मत जाना कि
तुम्हारे खैरमकदम करने की
आज की रात
मेरे घर की
दुल्हन के अनुपम सौंदर्य से
सजी सेज पर मिलने की
तैय्यारी हो रही है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
210 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
आकाश महेशपुरी
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
शेखर सिंह
मोहब्बत ना सही तू नफ़रत ही जताया कर
मोहब्बत ना सही तू नफ़रत ही जताया कर
Gouri tiwari
#यूँ_सहेजें_धरोहर....
#यूँ_सहेजें_धरोहर....
*प्रणय*
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
Dr.Pratibha Prakash
खतडु कुमाउं गढ़वाल के बिच में लड़ाई की वजह या फिर ऋतु परिवर्तन का त्यौहार
खतडु कुमाउं गढ़वाल के बिच में लड़ाई की वजह या फिर ऋतु परिवर्तन का त्यौहार
Rakshita Bora
जीवन को सफल बनाने का तीन सूत्र : श्रम, लगन और त्याग ।
जीवन को सफल बनाने का तीन सूत्र : श्रम, लगन और त्याग ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मुलाकात अब कहाँ
मुलाकात अब कहाँ
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
Neelofar Khan
शासकों की नज़र में विद्रोही
शासकों की नज़र में विद्रोही
Sonam Puneet Dubey
करके याद तुझे बना रहा  हूँ  अपने मिजाज  को.....
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
Rakesh Singh
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
There are opportunities that come and go, like the trains on
There are opportunities that come and go, like the trains on
पूर्वार्थ
लेखनी कहती यही है
लेखनी कहती यही है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
4741.*पूर्णिका*
4741.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सबकी सलाह है यही मुॅंह बंद रखो तुम।
सबकी सलाह है यही मुॅंह बंद रखो तुम।
सत्य कुमार प्रेमी
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
संकल्प
संकल्प
Davina Amar Thakral
काम न आये
काम न आये
Dr fauzia Naseem shad
लुट गया है मक़ान किश्तों में।
लुट गया है मक़ान किश्तों में।
पंकज परिंदा
बेटा तेरे बिना माँ
बेटा तेरे बिना माँ
Basant Bhagawan Roy
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
विकास शुक्ल
Where have you gone
Where have you gone
VINOD CHAUHAN
*बादल*
*बादल*
Santosh kumar Miri
एक अजीब कशिश तेरे रुखसार पर ।
एक अजीब कशिश तेरे रुखसार पर ।
Phool gufran
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
★हसीन किरदार★
★हसीन किरदार★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
सुपारी
सुपारी
Dr. Kishan tandon kranti
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...