– चांद का टुकड़ा –
– चांद का टुकड़ा –
आसमान से उतरी चांदनी ,
उस चांद का टुकड़ा हो तुम,
नजर न लगे तुम्हे लगा दू तुम्हे काला टीका इतनी पाक हो तुम,
जवाब नही कोई तुम्हारा लाजवाब हो तुम,
चांद में भले हो दाग पर निर्मल हो तुम,
चांद की चांदनी तेरे चेहरे पर,
पूरा चांद तो जमी पर नही उतर सकता,
कुदरत का करिश्मा है यह चांद का टुकड़ा हो तुम,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान