चांद का टुकड़ा
चांद का टुकड़ा
चांद का टुकड़ा
जैसी है तेरी मुखड़ा
काली काली घटा सा
केश है तुम्हारी
इतना सुंदर चेहरा में
मुस्कान है प्यारी छोटा सा।
चांद का टुकड़ा…..
संगमरमर सा बदन
तुम्हारी
गुलाबी गाल रसीले अधर तुम्हारी
मदहोश नैना अति प्यारी
चांद का टुकड़ा……
नख से सीख तक
आभूषण समेटे
सर्वगुण संपन्न
श्वेत परिधान लपेटे
लाखो है चहेते
पर कला में पारंगत
ग्रेजुएट को चपेटे।
चांद का टुकड़ा….
नयना की पुतली
फोटोग्राफर तुम्हारी
खींचे फोटो हमारी
अति प्यारी
अप्सरा सा महक तुम्हारी
सराबोर तन बदन हमारी
मेरे मन में लड्डू फूटे
तेरे संग कभी न छूटे।
🤩🤩🤩🤩🤩🤩
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
छत्तीसगढ़।