Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2022 · 1 min read

चाँद ……

रोज़ आया करो तुम छत पर मेरी ,
क्यूंकी हर रोज़ चाँद देखना है मुझको |
:- लक्ष्मण ‘बिजनौरी’

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 531 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*माॅं की चाहत*
*माॅं की चाहत*
Harminder Kaur
गणतंत्र दिवस की बधाई।।
गणतंत्र दिवस की बधाई।।
Rajni kapoor
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
शेखर सिंह
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
Dr Tabassum Jahan
■ मिसाल अटारी-वाघा बॉर्डर दे ही चुका है। रोज़ की तरह आज भी।।
■ मिसाल अटारी-वाघा बॉर्डर दे ही चुका है। रोज़ की तरह आज भी।।
*Author प्रणय प्रभात*
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
3059.*पूर्णिका*
3059.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"प्यार की नज़र से"
Dr. Kishan tandon kranti
स्वच्छ देश अभियान में( बाल कविता)
स्वच्छ देश अभियान में( बाल कविता)
Ravi Prakash
अस्मिता
अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
जीवन में सुख-चैन के,
जीवन में सुख-चैन के,
sushil sarna
बचपन खो गया....
बचपन खो गया....
Ashish shukla
विश्वास
विश्वास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-299💐
💐प्रेम कौतुक-299💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कुछ तो अच्छा छोड़ कर जाओ आप
कुछ तो अच्छा छोड़ कर जाओ आप
Shyam Pandey
हम तुम्हें सोचते हैं
हम तुम्हें सोचते हैं
Dr fauzia Naseem shad
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
Anil Mishra Prahari
मोर
मोर
Manu Vashistha
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
Mamta Singh Devaa
बादलों को आज आने दीजिए।
बादलों को आज आने दीजिए।
surenderpal vaidya
होठों पर मुस्कान,आँखों में नमी है।
होठों पर मुस्कान,आँखों में नमी है।
लक्ष्मी सिंह
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसान
इंसान
Vandna thakur
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
गौरेया (ताटंक छन्द)
गौरेया (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
Loading...