चाँद
यूॅं तू चाॅंद को देखा न कर,तेरे देखे से चाॅंद जल जाएगा
तेरे आँसूओं के गोद में वो कतरा कतरा पिघल जाएगा
~ सिद्धार्थ
जाॅं हम तुम्हें देखें या चाॅंद देखें
इक नज़र है हम क्या क्या देखें
तुम्हारे होठ पे तिरते गुलाब देंखें
या गुलाब पे गिरते माहताब देखें
सावन में गिरते बूंदों की फुहार देखें
या तेरे भीगे बदन का शराब देखें
इक नज़र है और हम क्या क्या देखें
इधर देखें या उधर की बहार देखें
~ सिद्धार्थ