चाँद से रिश्ता
आज कितना सुभिता हो गया है,
दुनिया के किसी भी कोने में हों हर शाम वीडियो काल करके अपने परायों से मिल, बात कर लो।,तब दूरभाष भी न था इंटरनेट की तो परिकल्पना ही भूल जाइये।
लड़कियाँ दूर गाँव ब्याह दी जातीं
एक बार विदा हुई तो सालों तक मुड़ के देखना भी नहीं हो पाता था।
पुराने रिश्ते भाई बंधु सब आँखों से ओझल।
ऐसे में सुकुमारी कन्या का हृदय व्याकुल हो तो वो कहाँ जाए!
तब दिल की बात करने को वो चाँद की राह देखती l
चाँद से एक अटूट रिश्ता कायम कर लिया. उसमें अपने भाई का अक्स दिखने लगा.
चाँद से रिश्ता
दूर बहुत ससुराल था मेरा
अक्सर फेरा मुश्किल था।
नये नये थे रिश्ते सारे
सहज हो पाना मुश्किल था।
याद मैत की हरदम आती
दिल बहलाना मुश्किल था।
संगी भाई पीछे छूटा
उसे भुलाना मुश्किल था।
भूले भटके मिलता भाई
बिन बात बुलाना मुश्किल था।
दिल में जो जज़्बात उमड़ते
उन्हें समाना मुश्किल था।
निपटा कर के काम सभी
खिड़की पर जाना मुमकिन था।
नभ पर बैठे चंदा से
खुल कर बतियाना मुमकिन था।
बिन शब्दों का जाल बुने
सब हाल सुनाना मुमकिन था।
रिश्तों के जंगल, बीहड़ में
चाँद को भाई बनाना मुमकिन था।
अब शाम ढले सब बच्चों को
मामा से मिलाना मुमकिन था।
और चंदा मामा कितने प्यारे
ये लोरी गाना मुमकिन था।