चाँद निकलता नहीं।
बड़ी हसरत थी उन्हें राह-ए-सफर चुनने की।
रहमते रब सफर में थे, आज भी सफर मे हैं।
न था वास्ता जिनका इनकी-उनकी बातों से।
सुना है आज कल वो हर फैलती ख़बर में है।
अफवाह है चाँद निकलता नहीं बिना ईद के।
उसकी खिड़की क्यूँ हर किसी नज़र में है।
न थी मोहलत जिन्हे आशियां देखने तक की।
समय से लौटकर वो आज उनके शहर में है।
-शशि “मंजुलाहृदय”