चाँद तुमको समझने लगे हैं।
वो तूफानों से यूूं दूर रहने लगे हैं।
संभल के बहुत वो चलने लगे हैं।
मिला जब से फरेब अपनो से है
हर कदम पे रूक के चलने लगे हैं।
सितारों की तमन्ना तो न की थी
अपना चाँद तुमके समझने लगे हैं।
शहर में अब के भीड़ बहुत थी मगर
कदम तुझे देख के ही रूकने लगे हैं।।।
कामनी गुप्ता***