चाँद के पार
जब रात का अंधेरा फैला हो,
चाँद की धवल किरणें जगमगाती हों,
मैं देखूं उस चाँद को,
जिसकी चमक में सारा ब्रह्मांड समाता हो।
उस चाँद के पार,
एक अद्भुत लोक है,
जहाँ प्रेम की गूंज सुनाई देती है,
जहाँ सपनों की डोर थम जाती है।
तारों की छाँव में छुपे राज,
हर एक तारे की कहानी अलग,
उनकी रोशनी में झिलमिलाता मेरा दिल,
चाँद के पार, जहाँ सच्चा प्यार पलता है।
वहाँ रंग-बिरंगे बादलों का मेला,
इंद्रधनुष की रेशमी लकीरों से सजा,
हर सुबह एक नई धुन गाती है,
चाँद के पार, जहाँ सुख का सागर लहराता है।
जब रात की सर्द हवाएँ चलें,
तेरे नाम की महक बिखर जाए,
चाँद के पार की इस दुनिया में,
तू ही है, तू ही है, हर कहीं छा जाए।
हर तारा एक नया उजाला,
मेरी राह को रोशन करता है,
चाँद के पार की इस प्रेमिल यात्रा में,
तेरे संग, हर पल का आनंद लेता है।
जब रात का चाँद मुस्कुराता है,
मेरे मन में बस तेरा ही नाम होता है,
चाँद के पार, उस अद्भुत लोक में,
हमेशा रहूँगा, तेरा इंतज़ार करता हूँ।
—-श्रीहर्ष —-