चाँद की शुभ्र ज्योत्सना
चाँद की शुभ्र ज्योत्सना
से सजे दरख्तों के साये में
भी सुकून नही मिलता..
बैठा रहता हूँ चाँदनी के तले
उसके इंतजार को संभाले,
मगर उसका पता नही मिलता…
टहलता रहता है अक्स उसका
मेरे मन मानस के किनारे-किनारे
अफ़सोस….
फ़िर भी मुझसे कभी नही मिलता…
हिमांशु Kulshrestha