चाँद का टुकड़ा
मुक्तक – चाँद का तुकड़ा
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तेरी बोली है कोयल सी,छवि है चाँद का तुकडा।
तेरी शोखी निगाहें ये,बढ़ाती है मेरा दुखड़ा।
ये मेरा मन कभी करता है,आकर पास में तेरे।
तुझे बांहों के झूले में,झुलाकर चुम लूँ मुखड़ा।
मेरे खातिर मेरी जानम,सदा तुम आह भरती हो।
इशारों में जताती हो,मगर कहने से डरती हो।
छुपा लो लाख तुम मुझसे,पता चलही तो जाता है।
मेरी उम्मीद से बढ़कर,मुझे तुम प्यार करती हो।
नहीं लगता जिया मेरा,तेरे बिन आज गांवों में।
तेरे बिन बल नहीं बढ़ता,मेरे बेजान बाँहों में।
चली आओ तुम्हारे बिन,सँभलना है बहुत मुश्किल।
छुपा लेना बना अपना,मुझे जुल्फों की छाँवों में।
धड़कती हो मेरे दिल में,मेरी धड़कन बढ़ाती हो।
मेरे बस में नहीं जो मय,वहीं मुझ पर चढ़ाती हो।
अगर मुझसे नहीं करना है,तुमको प्यार जानेमन।
कहो क्यूँ प्यार की बातें, निगाहों से पढ़ाती हो।
निगाहों के इशारों से,कभी मुझको लुभाती हो।
कभी तुम दूर रहती हो,कभी नजदीक आती हो।
दिखाती हो वहीं मुझको,जिसे मैं छू नहीं सकता।
बनाकर प्यार में पागल,मुझे हर पल सताती हो।
तुम्हारे प्यार बिन जाना,मैं मर जाने से डरता हूँ।
बताऊँ क्या तुम्हें किन किन,हदों से मैं गुजरता हूँ।
जला दूँगा जहाँ को मैं,अगर तू मिल नहीं पाई।
मैं अपने जान से बढ़कर,तुम्हे ही प्यार करता हूँ।
मेरे गमगीन आँखों में, दिखेगी प्यार की बातें।
तरसता है मेरा ये मन,कभी तो हो मुलाकातें।
न जाने कब कहाँ आओगे,तुम मेरी पनाहों में।
कसम तेरी ही है मुझको,सजा दूँगा हँसी रातें।
तेरे संग प्यार करने का,प्रिये अधिकार है मुझको।
लगाओ शर्त जितना भी,सभी स्वीकार है मुझको।
मैं अपनी हार को जीत का,दरिया समझ लूँगा।
कभी तो झूठ ही कह दो,तुम्हीं से प्यार है मुझको।
नहीं चाहे मेरा ये मन,कभी तुमसे अदावत हो।
हँसी लम्हों के साये में,तुम्हारी ही इनायत हो।
तुम्हारे इश्क में जाना,कहीं मैं मर नहीं जाऊँ।
कभी ओ पल नहीं आय�