*चाँदनी रात है*
चाँदनी रात है
चाँद तारो की ये जो बारात है,,
साथ मैं ये जो चांदनी रात है।।
उजाला ये मद्धम हंसी रात है,,
हाथ में साथिया ये तेरा हाथ है।।
गुल खिले बहारो मैं ख़ुश्बू भी है,,
गुलदस्ता मेरे सनम तेरे हाथ है।।
महका सा समा चांदनी रात का,,
क्यारियों मैं गुलाब क्या बात है।।
हसरतें चाँद को छूने की तो है,,
चाँदनी जो जगाती जज्बात है।।
दूरियां चाहतों के बीच है मगर,,
कुछ सुकून है गुलो का साथ है।।
जब देखा आसमा चाँद की मुस्कान,,
पर मजा आगया संगदिल साथ है।।
चाँद की चाँदनी फैली चारों दिशा,,
गुल से गुलाजर जमी क्या बात है।।
चले आओ मेरे साथ मेरे सनम,,
दूरियां मिटाओ जो सच बात है।।
फूलों की वादियों का मजा लो,,
मनु के साथ जो चाँदनी रात है।।
मानक लाल मनु