चाँदनी आभा उजयाली
***चाँदनी आभा उजयाली***
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चाँद सी गोरी मतवाली है,
चाँदनी आभा उजयाली है।
लाख कोशिश की है पैरों से,
हाथ से ही बज ती ताली है।
तुम कभी तो आखिर आओगे,
आज दिल का कोना खाली है।
देखकर पतझड़ की हरकत को,
बाग में रोता अब माली हैं।
भूख खोई तुम बिन जाने जां,
आपके बिन यूँ की यूँ थाली है।
यार मनसीरत सावन सूखा,
फूल बिन यह सूखी डाली है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)