चश्मे का फ्रेम
हर बार तुम
अपने चश्मे का फ्रेम
बदल देते हो
और स्वयं को युवा
महसूस होने का
अनचाहा
भ्रम पाल लेते हो।
पर सच्चाई यह कि
अब उम्र तुम पर
हावी हो रही है,
माथे पर शिकन व
चेहरे पर झुर्रियां
बढ़ रही है,
चंद सीढियां चढ़ने
पर शरीर हांफने
लग रही है।
बाल गायब व
सफेद होने लगे
दांत मुँह का साथ
एक एक कर
छोड़ने लगे।
धृष्टता वस
तुमने बाल बुनवा
व रंगवा लिया
नये दांतो से
मुँह को सजवा लिया
थोड़ा बहुत स्किन
भी टाइट करवा लिया।
पर कब तलक
एक दिन रियल शरीर
साथ छोड़ जाएगा
सब सजावट का सामान
यही रह जायेगा
कितने भी चश्मे के
फ्रेम बदलो पर
सच्चाई यही कि
देखते ही देखते
संसार से पयान का
समय आ जायेगा
और निर्मेष
हकीकत, हकीकत
ही रह जायेगा।
निर्मेष