चल साथ जीऐ
कुछ पल ज़िन्दगी के चल साथ जीऐ,
कुछ नही तो दिल की धड़कन ही सुनी जाऐ।।
इज़हार-ए-इश्क का तो पता नही,
आंखों से इकरार तो किया जाऐ।।
लब चाहे भले ही चुप रहें,
चल आंखों से ही बात करी जाऐ।।
क्या कहती हो! कुछ वक्त साथ बिताया जाऐ,
और ख्वाबों की नई दुनिया सजाया जाऐ।।
शिव प्रताप लोधी