चल रे हंसा
चल रे हंसा उड़ि चले
नहि रहना या देस
इट कागामोती चुगे
हिरनउड़ावे रेत।
हिरण उड़ावे रेत
बढ़ रहे अत्याचारी
उजियारे पर मिट्टी डारे
छाई मावस अंधियारी
छाईमावस अंधियारी
कोउ राह न सूझे
का करणो का न करनो
अब यह जीव न बुझे।
चल रे हंसा,,,,,,,,।