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21 Aug 2022 · 1 min read

चल रही है मुंबई कुछ कह रही मुंबई

चल रही है मुंबई कुछ कह रही है मुंबई ।

भीड़ बढ़ती दिनरात जिससे दब रही है मुंबई,
वाहनों की धुंध में अब सिसक रही है मुंबई ।

व्यस्त जिंदगी में भी जीवन जी रही है मुंबई,
रात हो या दिन बदस्तूर चल रही है मुंबई ।

खाइयाँ इतनी हैं फिर भी बस रही है मुंबई,
ऊंच -नीच की खाई से दूर रह रही है मुंबई ।

मंजिलों तले मंजिलें नित बना रही है मुंबई,
भार बहुत सी मंजिलों का ढो रही है मुंबई ।

आरे का जंगल भी काटे जा रही है मुंबई,
सारे जहां की मुश्किलों से लड़ रही है मुंबई ।

मुंबई की चमक में दो जीवन जी रही है मुंबई,
एक पैसे को तरसती एक करोड़ों में बस रही है मुंबई।

मुंबई के अंदर जिंदगी जी रही है मुंबई,
चल रही है जिंदगी कुछ कह रही है मुंबई ।

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