कुछ कसक दिल में
चल रही है जिंदगी मगर
कुछ कसक दिल में है |
मंजिल मिली नहीं है,
अभी दूरी मंजिल में है
ऐसा क्या हो गया जो
उदासी महफिल में है |
डसने का डर जिनका
वह सांप – विल में है |
सिपाहियों की वीरता ,
देखो यार करगिल में है |
वर्तमान समय की
हो कुछ मजबूरियां ,
लोग बनाते हैं, दूरियां
हालात मुश्किल में है |
कवि दीपक सरल