बनाते हैं
कुछ लोग राई का पहाड़ बनाते हैं
और कीमती को कबाड़ बताते हैं ।
उखाड़ रहे हैं जो आप ये गड़े मुर्दे
क्यों उनकों यूँ आईना दिखाते हैं ।
दफ़न है जो भी तारीख के पन्नो में
गल्तियां क्यों फ़िर वही दोहराते हैं।
ज़माना तो जम गया है बर्फ़ मानिन्द
बस इसी बात का फायदा उठाते हैं ।
कोई बदलाव नहीं ला सकते अजय
तेरी गज़लें अब तुझे ही समझाते हैं ।
-अजय प्रसाद