“चल मन चल”
चल मन चल हिमालय की सैर कर आएँँ
अपने दुखोंं को , अपने तनावोंं को ,
और निगौड़ी,अपनी समस्याओंं को ,
हिमालय के शिखर पर ही कहींं छोड आएँँ ,चल मन चल ….
आकर छुप जाएँँ , या अदृृश्य हो जाएँँ ,
ढूढ़ँँ ना पाएँँ , खोज ना पाएँँ ,
ये सारी परिस्थितियाँँ हमको कभी ,
चलो ऐसी जगह पर ही कहींं जाकर बस जाएँँ , चल मन चल…
निश्चिंंत नही हो पाती हूँँ, कुछ कह नही पाती हूँँ,
इक वेदना, हृृदय मेंं बस महसूस कर रह जाती हूँँ,
प्रयासोंं को अपने सदा विफल ही पाती हूँँ ,
देखती हूँँ , सोचती हूँँ , बस यही कि,
कहींं ,समय निकल ना जाएँँ ,चल मन चल…
#सरितासृृजना