चल मनवा चलें…..!!
झूमते-गाते जय-जय सियाराम,
चल मनवा चलें अयोध्या धाम।
तोड़ हर बंधन, छोड़ सब काम,
चल मनवा चलें अयोध्या धाम।
झूमते-गाते…..!!
प्रभु-भक्ति की लगन लगा लें,
प्रेम-भाव की ज्योत जगा लें,
चिन्तन में कटें आठों याम।
चल मनवा चलें…..!!
“कंचन” सा अवध सजे सुन्दर,
तू क्यों अटका मोह समन्दर,
नयनों को दें सुख अविराम।
चल मनवा चलें…..!!
जहाँ रघुवर संग सिय बिराजें,
सकल सुमंगल वहीं आ साजें,
चल हम भी वहीं लें विश्राम।
चल मनवा चलें…..!!
रचनाकार :- कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- ११/०१/२०२४.