चल ना होली खेलें यार
चल ना होली खेलें यार
आ ख्वाब रंगे इस बार
चल खुदा के कर दीदार
आज गिरा के हर दीवार
चल पिचकारी ऐसी मार
चल निकले प्रीत की धार
चल मना होली त्योहार
फूटे रंगों की बौछार
चल फिर खुद में देख निखार
मीठा बोलो करो फुहार
चल कुछ आँखों को संवार
तू देख हर रंग में प्यार
चल चला इस तरहा बयार
झनक उठे हर दिल के तार
चल बाहर मत देख यार
भीतर खुशियों का भंडार
चल माना ‘सरु’ ने सौ हज़ार
होली सा न एक त्योहार