चल डुगडुगी बजा
चल डुगडुगी बजा, चल डुगडुगी बजा
मजमे जरा लगा,चल डुगडुगी बजा
आ गया है वक़्त दौरे चुनाव का, ध्यान असली मुद्दों से आवाम का हटा,चल डुगडुगी बजा, मजमे जरा लगा
धर्म जाति संप्रदाय, नस्ल भेद आंचलिकताएं
अगड़े पिछड़े दलित वर्ग, जहन्नुम और स्वर्ग
बांट फिरकों में सभी को, युक्तियां लगा
चल डुगडुगी बजा, मजमे जरा लगा
नई नई घोषणाएं,नए नए वादे
सोच नहीं पाए कोई, इतनी तू पिला दे
भाषा और अंचल की भंग भी खिला दे
बिक जाए माल सभी,स्टाल चल सजा
चल डुगडुगी बजा, मजमे जरा लगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी