*** चल अकेला…..!!! ***
“” न आयेगा कोई मदद करने इधर…
बस कुछ रोशनी के इशारे होंगे…!
पांवों में होंगे थकान…
मन भी होगा कुछ परेशान…!
नज़रों में उम्मीद के झलक भी…
ओझल होने लगेंगे….!
अनचाहे कभी इधर, कभी उधर…
चलने के इशारे होंगे…!
मन डगमगा…
पतझड़ मौसम के हवाले होने लगेंगे…!
शरारती हवाओं के…
उलझाने वाली झोंके होंगे….!
असंतुलित विचार…
कुछ प्रबल- प्रफुल्लित होंगे….!
फिर भी तुझे संभलने हैं…
इरादे अपने नहीं बदलने हैं….!
हो इस राह में, कोई गिरि-गहवर…
मन-विचार, संतुलित कर…,
एक अकेला राह गढ़ने होंगे…!
न आयेगा कोई, मदद करने इधर…
बना स्वयं को, अपने हमसफर…;
बस कुछ रोशनी के इशारे, चलने होंगे…
खुद के सहारे यहां से निकलने होंगे…! “”
***************∆∆∆*************