चल अकेला चल अकेला
चल अकेला तू चल अकेला
जीवन पथ पर तू बढ अकेला
नहीं कोई तुम्हारे संग साथ है
ईश का तुम्हारे सिर पर हाथ है
आएंगी असंख्य बाधाएं पथ पर
पर तुम्हे करना पार पथ हँस कर
ऊर्जावान हो, कर ऊर्जा संचित
एकाग्र हो,सफलता होगी अंकित
ना कर परवाह,हो कर बेपरवाह
बढता जा, बना चाँद तारे गवाह
ले बड़ों की सीख,दे छोटों को प्रीत
जाओगे तुम जंग जीवन की जीत
मत डरना हार से यदि जाओ छूट
डर जाओगे हार से तो जाओगे टूट
लक्ष्य कर निश्चित,जुटाओ संसाधन
मिले मंजिल कर सदुपयोग संसाधन
विजय पराजय जीवन के हैं हिस्से
जीवंत हो जाएंगे जिंदगी के किस्सें
चुन लोगे गर जिंदगी की रंगीन राहें
झूलोगे झूले फैला सफलता की बाहें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत