चलो सब साथ मिलकर, स्वर्ग धरती पर बनाये हम
चलो सब साथ मिलकर, स्वर्ग धरती पर बनाये हम
न अपने दिल में कोई भाव रक्खें जाति पांति का
न अपने दरमियाँ दीवार रक्खें भाषा मज़हब की।
न अपने दिल में कोई रंजिशें हों एक दूजे से
कि दुनिया हम बनाये रुत जहां हो बस मोहोब्बत की।।
हमें भी थोड़ी मुश्किल आएंगी इन नेक राहों में
अगर सब साथ हो तो मुश्किलें आसान हो जायें।
हमें रब ने दिया मौका, ख़ुशी संग जग भलाई का
बहाना बृक्षारोपण का, जगत कल्याण हो जाये।।
जो कुदरत रूठ जाये तो, जहाँ में जीना है मुश्किल
जो कुदरत मेहरबाँ है तो,हँसी है ज़िंदगी साहिब।
नहीँ सज़दा, ज़रूरी कोई भी मंदिर ओ मस्ज़िद में
हमारा बृक्षारोपण ही ख़ुदा की बंदगी साहिब