चलो बीज बोते हैं
चलो बीज बोते हैं।
हरे भरे जीवन का सपना संजोते हैं।
चलो बीज बोते हैं।
संयम की धरती पर सब्र का बीज बोयेंगे
सदाचार के पानी से सींचेंगे
सुना है, ऐसे बहुत मीठे फल होते हैं।
चलो बीज बोते हैं।
संकल्प की धरती पर ज्ञान का बीज बोयेंगे
पसीने को पानी बना उसी से सींचेंगे
इसी तरह तो सफलता के फल ढोते हैं।
चलो बीज बोते हैं।
संवेदना की धरती पर दोस्ती का बीज बोयेंगे
आंख के पानी से इसे सींचेगे
ऐसे खुशी के फल वाले कभी नहीं रोते हैं।
चलो बीज बोते हैं।
जब मंडी में जाएं फल और हो इनका विश्लेषण
तो यह न मन में आए
कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से पाए
संतुष्टि के फल वाले ही चैन से सोते हैं।
चलो बीज बोते हैं।