चलो पतंगें उडा़ते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं
कागज कि नाव रेत के टिले बनाते हैं
फिर कहीं क्रिकेट खेलते हैं
फिर कहीं कंचे खेलते हैं
फिर कहीं पेड़ों से परिंदे उड़ाते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं
कहीं आम के पत्ते मुर्झाते हैं
कहीं बेरियों के कांटे पॉव में चुभ जाते हैं
अलहड़ बचपन में धूल में खेलते हुए
नई नई तरंगे उड़ाते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं
एक बार और अमरुद के पेड़ों पर चढ़ जाते हैं
एक बार और गुल्ली डंडा खेलते हुए लड़ जाते हैं
इस बार फिर से छुट्टियों में उमंगे उड़ाते हैं
चलो पतंगें उडा़ते हैं