“चलो ना”
चलो ना कुछ सपनों में रंग भरें,
सोंधी -सोंधी सी खुशबू लिये,
रेत की चादर पर सीपीयों के संग।
चलो ना भिगो दें कुछ पल,
निचोड़ लायें विगत स्मृतियाँ,
स्याह सी रात में मोतियों के संग।
चलो ना तोड़ लायें कुछ अनकहे शब्द,
पिरो दें भावनाओं की लड़ियाँ,
खुले आसमान में सितारों के संग।
चलो ना… चलो ना… चलो ना…
…निधि…