चलो नवोदय
चलो नवोदय साथियों चलो नवोदय
आज अलमुनी डे,देखें वहाँ सूर्योदय
नहा धो कर तुम हो जाओ तैयार
मिलने को बिछुड़े साथी हैं तैयार
कर रहा हमारा नवोदय इंतजार
सोचो मत,बस तुम चलो नवोदय
आओ देखें वहाँ अब क्या है हाल
चल कर ठोकेंगे वहाँ अपनी ताल
हाथों में ले कर चम्मच और थाल
बजाएंगे वहाँ फिर से पुरानी ताल
स्मृतिको हरा करने चलो नवोदय
कितने बड़े हो गए हैं वो पेड़-पौधे
जो वहाँ कभी दिल से हमने रोपे
कक्षाकक्ष में आओ जा करके बैंठे
एक दूसरे को फिर से ताके झांकें
बाहें पसार खड़ा तैयार है नवोदय
बैड ढूँढ वहाँ पर जा कर वहाँ बैठेंगे
होस्टल में जा करके हुड़दंग मचाएंगे
नाचेंगे, झूमेंगे,वही गीत तराने गाएंगे
संस्मरण याद करके कहकहे लगाएंगे
पुरानी दुनियां में फिर हम खो जाएंगे
टकटकी लगाए इंतजार करे नवोदय
सालों बाद यह अनमोल दिन आया है
नवोदय ने फिर से हमें पास बुलाया है
अब कैसे दिखते हैं, क्या कहाँ करते है
क्या रग में बसा नवोदय याद करते हैं
ये सब पूछने को बुला रहा है नवोदय
अब वही पुराने बहाने ना बनाओ तुम
बिन सोचे दौड़े भागते चलो आओ तुम
लम्हें निकले जो हाथ कभी नही आएंगे
जिंदगी बीते,काम खत्म नहीं हों पाएंगे
सोचते क्या हो चले आओ तुम नवोदय
चलो नवोदय साथियों चलो नवोदय
आज अलमुनी डे ,देखें वहाँ सूर्योदय
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली ( कैथल)
9896872258