चलो दुनियाँ बदलते हैं
चलो इक बार हम सब इक नया इतिहास रचते हैं
जलाकर बस्तियाँ नफरत की उनको खाक़ करते हैं
चलो छोडो ये दुनियाँ है यहां हर शै में दुश्मन हैं
मुहब्बत के सफर में हम चलो जीते हैं मरते हैं
हजारों गम उठाकर भी यहां हर शख्स जिंदा है
सदा खुशियों की बारिश हो चलो दुनियाँ बदलते हैं
यतीमों के घरौंदों से अंधेरे को मिटाने को
सदा सूरज निकलता है चलो हम भी निकलते हैं
मुहब्बत के सफर में हैं यहाँ उलझन भरी राहें
भरी दुनियाँ है उल्फत से चलो हम दूर चलते हैं
मेरे अपनो ने जख्मों को हवा देना ही सीखा है
गरीबों के भी जख्मों पर चलो मरहम ही मलते हैं
हमारे गांव की बगिया में किसने जहर घोला है
गुलों की सोंधी खुशबू सा चलो “योगी” महकते हैं
रचनाकार-कवि योगेन्द्र योगी
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