चलो जिन्दगी को फिर से।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
चलों जिन्दगी को फिर से जीना सिखाते है।
कुछ और हंसना कुछ और रोना सिखाते है।।1।।
अभी भी मोहब्बत जिंदा है सीने के अन्दर।
ये दिले जज़्बात उस बेवफ़ा तक पहुंचाते है।।2।।
लोगों को लगता है खतम हो गया है ताज।
जिन्दा हूं ये पैगाम दुश्मनों को भिजवाते है।।3।।
तन्हा करके जो गया है सफर में हमसफ़र।
चलकर उसको मकसूदे मंजिल पर पाते है।।4।।
ये सवाब मिलते नही किसी भी बाजार में।
गुनहगार खुदा के अजाब से बच ना पाते है।।5।।
गुनाह कुछ ज्यादा ही हो गए है जिंदगी में।
चलके मां से अपने हक में दुआ करवाते है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ